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नई दिल्ली। चीनी वीजा घोटाले के आरोपी कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने गुरुवार को आरोप लगाया कि केंद्र उन्हें और उनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम को फंसाने के लिए अपनी एजेंसियों का ‘दुरुपयोग’ कर रहा है। जांच एजेंसी के सामने अपना बयान दर्ज कराने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि मामला कुछ और नहीं बल्कि उन्हें परेशान करने की एक ‘रणनीति’ है। कार्ति चिदंबरम ने कहा कि उनके जरिए उनके पिता को निशाना बनाया जा रहा है। कार्ति ने कहा, “केंद्र सरकार एक बार फिर अपनी एजेंसियों का इस्तेमाल कर मुझ पर दुर्भावनापूर्ण और पूरी तरह से मनगढ़ंत आरोप लगा रही है। पहले, एक विचाराधीन हत्या के संदिग्ध के बयान के आधार पर एजेंसियां मेरे पीछे पड़ी थीं। अब, वे एक ऐसे मृत व्यक्ति के कथित कार्यों पर अपने फर्जी आरोप लगा रहे हैं, जिससे मैं कभी नहीं मिला।”

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सीबीआई को दिए एक बयान में, उन्होंने अपने खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। इस बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “मेरा प्राथमिकी में उल्लिखित किसी भी कॉर्पोरेट संस्था के साथ कोई संबंध नहीं है। मैंने कभी भी एक भी चीनी नागरिक को उनकी वीजा प्रक्रिया में सुविधा नहीं दी है, 250 की तो बात ही छोड़ दें। मैं वीजा औपचारिकताओं के बारे में नहीं जानता और मुझे यह भी नहीं पता कि इसका अधिकार किसके पास है।” उन्होंने कहा, “मैं उस व्यक्ति (अब मृतक) को भी नहीं जानता, जिसकी कथित कार्रवाई से यह आरोप लगा है।” इस मामले में हाल ही में उनके चार्टर्ड एकाउंटेंट एस. भास्कररमन को गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई उनका कार्ति से सामना कराना चाहती थी। भास्कररमन सीबीआई की हिरासत में हैं। सीबीआई ने छापेमारी के दौरान जो सेल्स डीड बरामद की थी, वह बहुत महत्वपूर्ण है। सेल्स डीड जोर बाग में खरीदी गई संपत्ति का है और पावर ऑफ अटॉर्नी भास्कररमन के नाम है जबकि संपत्ति कार्ति और उनकी मां ने खरीदी थी।

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इस सिलसिले में कार्ति चिदंबरम से पूछताछ की जा चुकी है। प्राथमिकी के अनुसार, मनसा (पंजाब) स्थित एक निजी फर्म तलवंडी साबो पावर लिमिटेड ने एक बिचौलिए की मदद ली और कथित तौर पर चीनी नागरिकों को समय सीमा से पहले एक परियोजना को पूरा करने के लिए वीजा जारी करने के लिए 50 लाख रुपये का भुगतान किया। गुरुवार को मामले में सीबीआई के सामने पेश होने के बाद कार्ति ने सभी आरोपों से इनकार किया और कहा कि उन्होंने ‘एक भी चीनी नागरिक को इस प्रकार की कोई सुविधा प्रदान नहीं की है’ और मामला पूरी तरह से फर्जी है। सीबीआई के अनुसार, “चेन्नई स्थित एक निजी व्यक्ति ने अपने करीबी सहयोगी के माध्यम से कथित तौर पर 50 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी, जिसे मानसा स्थित निजी कंपनी ने भुगतान किया था।”

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सीबीआई का आरोप है कि उक्त रिश्वत का भुगतान मानसा स्थित निजी कंपनी से चेन्नई के उक्त निजी व्यक्ति और उसके करीबी सहयोगी को मुंबई की एक कंपनी के माध्यम से कंसल्टेंसी के लिए उठाए गए झूठे चालान के भुगतान के रूप में किया गया था। हाल ही में सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा था, “मानसा स्थित निजी फर्म 1,980 मेगावाट ताप विद्युत संयंत्र (थर्मल पावर प्लांट) स्थापित करने की प्रक्रिया में थी और संयंत्र की स्थापना एक चीनी कंपनी को आउटसोर्स की गई थी।” यह भी आरोप लगाया गया है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने कथित तौर पर नियमों की धज्जियां उड़ाकर चीनी नागरिकों को वीजा दिलाने में मदद की थी।

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