कभी तुमसे रूठ भी जाऊं ओ मेरे प्रिय, कभी तुमसे रूठ भी जाऊं ओ प्रिय…
फिर भी हर रोज तुम्हारे, घर लौटने का इंतजार होता है।
आंखों में तैरती खामोशियों के मंजर पर, आंखों में तैरती खामोशियों के मंजर पर…
सुनो तो, शब्द बोलने का असर, हर बार होता है।
गिले शिकवे अपनी जगह इस रिश्ते में, गिले शिकवे अपनी जगह इस रिश्ते में…
हर बार की तरह मुस्कुराना, ही मनुहार होता है।
संग ना महज आसां है इन राहों की डगर पर, संग ना महज आसां है इन राहों की डगर पर…
तेरे हर सुख-दुख पर, पहले मेरा ही अधिकार होता है।
जिस भी पल मन की गिरह खुल जाए, जिस भी पल मन की गिरह खुल जाए…
हर नई शुरुआत और हर नया, त्यौहार होता है।
व्रत पूजन यह सब है तुम्हारी ही खातिर, व्रत पूजन यह सब है तुम्हारी ही खातिर…
फिर चांद से सजदा मेरा हर बार, यूं ही ना होता है।
सिर्फ सात फेरों में बंधा यह कैसा है रिश्ता, सिर्फ सात फेरों में बंधा यह कैसा है रिश्ता…
शिकायतें होने के बावजूद भी, प्यार उन्हीं से होता है।
-(अनीता गुलेरिया)