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शाजापुर। गत वर्ष कर्नाटक से एक समाचार आया था जिसमें बताया गया था कि एक व्यक्ति अपनी पत्नी की मृत्यु होने के बाद उसकी सिलिकॉन की मूर्ति बनवाई और फिर उन्होंने उस मूर्ति के साथ अपने नए घर में प्रवेश किया, जिसका सपना उनकी पत्नी ने देखा था। और अब एक और ऐसा मामला सामने आया है जो इससे भी बढक़र है। यह किस्सा प्रेम की अजब दास्तां है। कहते हैं अपनों को खोने के बाद उन्हें वो लोग बहुत याद करते हैं जो उन्हें सच्चा प्रेम करते हैं। ऐसे ही कुछ हैं मध्यप्रदेश के शाजापुर के नारायण सिंह जिन्होंने अपने प्रेम की अनूठी मिसाल पेश की है। नारायण सिंह ने अपनी पत्नी की मृत्यु होने के बाद उनसे अत्यधिक प्रेम के चलते उनका मंदिर (Temple) ही बनवा डाला। अब हर दिन सुबह शाम नारायण सिंह और उनके बेटे इस मूर्ति की पूजा अर्चना करते हैं। दरअसल उनके बेटे भी यही चाहते थे कि मां भले ही इस दुनिया से चली गई हो लेकिन इस प्रतिमा के तौर पर सदैव उनके साथ रहे इसी के चलते सभी अब माँ का पूजन करते हैं और उन्हें याद करते हैं। मिली जानकारी के अनुसार शाजापुर जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर दूर सांपखेड़ा गांव में रहने वाले नारायण सिंह की पत्नी गीताबाई की कोरोना बीमारी के चलते मौत हो गई थी। नारायण सिंह धार्मिक प्रवृत्ति के हैं और उन्हें अपनी पत्नी से बेहद लगाव था। केवल वही नहीं बल्कि उनके बेटे भी अपनी मां की मौत के बाद टूट से गए थे। ऐसे में बेटों और नारायण सिंह ने पत्नी की स्मृति में घर के बाहर एक मंदिर बनाने का सोचा और अब सभी ने मंदिर बनवाने की सोच को मूर्त रूप दिया है। पत्नी की मौत के तीसरे ही दिन इनके बेटों ने अलवर राजस्थान में गीता बाई की मूर्ति बनवाने का आर्डर दिया और डेढ़ माह बाद तीन फीट बड़ी यह सुन्दर प्रतिमा बनकर आ गई। उसके बाद परिजनों द्वारा अपने घर के बाहर एक छोटा सा मंदिर बनाकर उसमें पूरे विधि विधान के साथ इस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई।

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