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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के दिव्य और भव्य कुंभ में इस बार सतयुग के समुद्र मंथन का नजारा भी दिखाई देगा। 15 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में 300 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से डिजिटल कुंभ संग्रहालय बन रहा है। यह संग्रहालय मंदराचल पर्वत से लेकर अनेक ²श्य को सकार करेगा। इसमें जाने वाले श्रद्धालुओं को उस दौर का अनुभव कराएगा जिन-जिन समय में घटनाएं घटी हैं। मुख्यमंत्री योगी का विजन है कि उत्तर प्रदेश के धार्मिक एवं सांस्कृतिक पर्यटन को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा दिया जाए। इसको ध्यान में रखकर बन रहा यह संग्रहालय सनातन धर्म की गौरवशाली परंपरा त्याग और ज्ञान का आभास कराएगी। यहां आने वाले पर्यटकों का साक्षात्कार भारत के महान ऋषियों, मुनियों एवं महापुरुषों के व्यक्तित्व से होगा। यह संग्रहालय 2025 में होने वाले महाकुंभ से पहले बनकर तैयार हो जाएगा। इसके लिए अरैल एरिया में जमीन चिन्हित कर ली गई है।

संग्रहालय को बनाने के लिए इसे तीन चरणों में बांटा गया है, जिसमें पर्यटकों से जुड़ी सभी सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी। पहले चरण में पाकिर्ंग, तालाब, संग्रहालय, टिकट एवं लॉकर की व्यवस्था रहेगी। वहीं दूसरे चरण में एग्जीबिशन एवं कॉन्फ्रेंस हॉल, बिजली घर और संग्रहालय के विषय में जानकारी के लिए डिजिटल कियॉस्क बनाए जाएंगे। तीसरे चरण में पीपीपी मोड पर होटल, शिल्पग्राम, कुटिया एवं अस्थाई प्रदर्शनी का स्थान बनाया जाएगा। यहां ओडीओपी सहित स्थानीय पारंपरिक शिल्पकारों के लिए स्थान आरक्षित होगा। साथ ही राजस्थान के चोखी ढाणी की तर्ज पर विविध व्यंजनों के स्टॉल भी होंगे। प्रयागराज के मंडलायुक्त संजय गोयल ने बताया कि यूनेस्को ने प्रयागराज कुंभ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिया है। इस विरासत को जीवंत बनाये रखने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा अनेक अभिनव प्रयास किये जा रहे हैं। डिजिटल कुंभ संग्रहालय इसी श्रृंखला में एक प्रयास है। वर्ष 2025 के महाकुंभ से पहले तक इसे आकार देने के लिए हम कार्ययोजना के अनुरूप काम कर रहे हैं।

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