नईदिल्ली। राजधानी दिल्ली में 75वे स्वतंत्रता वर्षगांठ के मौके पर द्वारका साउथ पुलिस को सुबह साढे सात बजे के करीब सेक्टर-8 बी-ब्लाक मे मदर डेयरी के पास बने श्री कृष्णा होटल मे लगी भीषण आग मे कई लोगों के फंसे होने की सूचना मिली। मौके पर पहुंची पुलिस व दमकल विभाग की कर्मियो ने काफी देर मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। होटल के अंदर पुलिस ने भूतल की सीढ़ियों पर एक युवक और युवती को मृतक अवस्था में पाया पुलिस ने दोनों के शव को कब्जे में लेकर दीनदयाल अस्पताल पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया इसके अलावा दो घायलों को आनन-फानन में द्वारका के आकाश व आयुष्मान अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाया जिन्हें बाद में बर्न-अस्पताल सफदरजंग में रेफर कर दिया गया जहां दोनों घायलों का इलाज जारी है। द्वारका उपायुक्त संतोष कुमार मीणा ने जानकारी देते हुए बताया होटल में लगी भीषण आगजनी में दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। मृतक का नाम दीपक (25) बागडोला सेक्टर-8 का निवासी था वह गोबिर्डन-क्लब जनकपुरी में (डीजे) चलाने का काम करता था पंद्रह वर्षीय मृतक नाबालिग किशोरी काजल कौर बदला हुआ नाम उम्र (15) सुल्तानपुरी की निवासी थी, वह अपने दोस्त के साथ होटल में ठहरी हुई थी। होटल में लगी भीषण आग से घायल हुए युवकों में एक की पहचान हर्ष सिंघला (21) मानस कुंज,उत्तम नगर का निवासी है। दूसरा घायल भाहयक मेहरा (23) आर्य-समाज रोड उत्तम नगर से है पुलिस जांच मुताबिक श्री कृष्णा व ओयो होटल के मालिक का नाम सुनील गुप्ता है। जिसका दिल्ली में एक और (ओयो) नाम से होटल चलता है, सूत्रों मुताबिक इस होटल को वह बिना लाइसेंस के चला रहा था। आग लगने के समय पर होटल का कोई भी कर्मचारी मौके पर मौजूद नहीं था होटल में ठहरे हुए युवक लोकेश (21) ने आगजनी की घटना का जिक्र करते हुए बताया। आधी रात के समय शॉर्ट-सर्किट होने से बिजली चली गई थी, लेकिन आधे घंटे के बाद बिजली आ गई और सुबह सात बजे के करीब हम लोग जब उठे तो हमने होटल के ग्राउंड फ्लोर व रिसेप्शन-रूम से भारी धुआं उठता देखा। तभी बिजली के धमाकों की आवाज सुनाई देने के बाद देखते ही देखते आग ने भीषण रूप अख्तियार कर लिया। होटल में ठहरे लोगों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। कुछ लोगों ने साड़ी और रस्सी से खिड़कियों के रास्ते बाहर कूदकर अपनी जान बचाई। सूत्रों मुताबिक होटल मालिक ने फायर (एनओसी) भी नहीं करवा रखी थी। श्री कृष्णा होटल की इमारत के मालिक सिद्धार्थ व करूणा है जो मूल रूप से झारखंड रांची के हैं। थाना प्रभारी राकेश डडवाल ने गहनता से जांच करते हुए कागदी-प्रक्रिया जांच मुताबिक होटल मालिक निशा झा (22) और हर्षित सैनी (21) प्रबंधक जो इस होटल को चला रहा था को अपनी गिरफ्त में लेकर लापरवाही का मामला दर्ज करके डीपी अधिनियम धारा 188 व आईपीसी 436/337/ 338 /304/34 तहत मामला दर्ज कर आगे की गहन-तफ्तीश जारी है। इस भीषण-आगजनी के होने का मुख्य कारण शॉर्ट-सर्किट बताया जा रहा है। पुख्ता कारणों का पता लगाने के लिए विभागीय टीम जांच में जुटी है। समझ नहीं आता, इस तरह अवैध तरीके से चल रहे होटल पुलिस व प्रशासन की नजरों से कैसे ओझल रहते हैं? इन जैसे लोग असवैधानिक तौर पर काम करते हुए सैकड़ों जिंदगीयों के साथ हरपल खिलवाड़ करने पर अमादा रहते हैं। इलाके मे (आरडब्ल्यू) के लोगों ने भारी रोष-व्यापत करते हुए कहा हमने अवैध रूप से चल रहे इस (श्री कृष्णा होटल) के बारे में पुलिस को कई बार लिखित में शिकायत दी। लेकिन आज तक पुलिस ने उनकी शिकायत को नजरअंदाज करते हुए किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जिसका नतीजा आज दो युवा लोगों को अपनी जान गंवाकर भुगतना पडा। उन्होने आरोप लगाते हुए कहा, होटल मालिक के अलावा हमारा गहरी नींद मे सोया हुआ प्रशासनिक-विभाग जिसकी नाक के नीचे इस तरह के अवैध कामों को लगातार बढ़ावा मिलता है। पुलिस व प्रशासनिक विभाग इस जानलेवा हादसे के सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं तो और कौन? समय रहते अवैध रूप से चल रहे इस होटल पर कानूनी-प्रक्रिया तहत किसी तरह की उचित कार्रवाई को अंजाम क्यों नहीं दिया गया? क्यों सरकारी विभाग मूकदर्शक बने हुए लोगों की जिंदगीयों को खतरे में डालते हुए बडे व जानलेवा हादसों का इंतजार करते नजर आते है? स्थानीय लोगों ने भारी रोष व्याप्त करते हुए कहा,क्या सरकार इन सभी दोषी प्रशासनिक-विभाग के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए उच्च-मापदंड के जरिए पीड़ित लोगों को सही से न्याय दिला पाएगी? जा फिर हमेशा की तरह दोषियों को बचाएगी? क्या यह है सुगमता तहत सरकार द्वारा आमजन को दिया जाने वाला (जन-संरक्षण)? आखिर हमारे देश मे सुस्त व लचर-व्यवस्था के चलते बड़े व जानलेवा हादसों के होने का इंतजार क्यों किया जाता है? क्यों समय रहते इस पर ध्यान देना अनिवार्य नही समझा जाता?