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नई दिल्ली। Prime Minister नरेंद्र मोदी ने सोमवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े गुमनाम द्वीपों का नामकरण किया। उन्होंने नेताजी को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक के मॉडल का भी अनावरण किया, जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप पर बनाया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा- जब इतिहास रचा जा रहा होता है तो आने वाली पीढ़ियां न केवल उसे याद, आंकलन और मूल्यांकन करती हैं बल्कि उससे निरंतर प्रेरणा भी प्राप्त करती हैं। यह दिन आने वाली पीढ़ियों द्वारा देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में याद किया जाएगा।

मोदी ने आगे कहा कि अभूतपूर्व जुनून के साथ-साथ अपार पीड़ा की आवाजें आज भी सेलुलर जेल की कोठरियों से सुनी जाती हैं। बंगाल से लेकर दिल्ली और अंडमान तक देश का हर हिस्सा नेताजी की विरासत को सलाम करता है और उन्हें संजोता है। हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं और कर्तव्य पथ के सामने नेताजी की भव्य प्रतिमा हमें हमारे कर्तव्यों की याद दिलाती है। उन्होंने रेखांकित किया कि यह देश का कर्तव्य है कि सेना के योगदान के साथ-साथ राष्ट्रीय रक्षा के लिए स्वयं को समर्पित करने वाले सैनिकों को भी व्यापक मान्यता दी जानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब लोग देश के इतिहास को जानने और जीने के लिए अंडमान निकोबार द्वीप समूह आ रहे हैं।

मोदी ने अफसोस जताया कि अंडमान की पहचान स्वतंत्रता संग्राम की यादों के बजाय गुलामी के प्रतीकों से जुड़ी हुई है और यहां तक कि हमारे द्वीपों के नाम पर भी गुलामी की छाप थी। उन्होंने तीन मुख्य द्वीपों का नाम बदलने के लिए कुछ साल पहले पोर्ट ब्लेयर की अपनी यात्रा को याद किया और बताया: आज रॉस द्वीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप बन गया है, हैवलॉक और नील द्वीप स्वराज और शहीद द्वीप बन गए हैं। उन्होंने कहा कि स्वराज और शहीद नाम खुद नेताजी ने दिए थे। मोदी ने उनकी 125वीं जयंती पर बंगाल में आयोजित विशेष कार्यक्रमों को याद किया, जिस दिन को पराक्रम दिवस घोषित किया गया था।

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